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      आईवीएफ की सफलता बढ़ाने के लिए कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए

      आईवीएफ की सफलता बढ़ाने के लिए कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए

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        आईवीएफ जिसे “इन विट्रो फर्टिलाइजेशन” के नाम से जाना जाता है और ये ट्रीटमेंट आज के समय में बांझपन की समस्या से जूझ रहीं महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके अलावा बहुत सी महिलाएं ऐसी भी है जिन्हे इस ट्रीटमेंट के बारे में पता नहीं है और साथ ही जिनको पता है तो वो ये बात नहीं जानते की इस ट्रीटमेंट को सफल कैसे बना सकते है। दूसरी और अगर आप भी आईवीएफ के जरिये अपना उपचार करवाना चाहते है और इस उपचार को सफल कैसे बनाया जाए के बारे में जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;

        क्या है आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट ?

        • आईवीएफ (IVF) का मतलब “इन विट्रो फर्टिलाइजेशन” होता है। वही ये ट्रीटमेंट उन महिलाओं के लिए उपयोगी माना जाता है, जो संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होती है। इसके अलावा जब शरीर अंडों को निषेचित करने में विफल रहता है, तो उन्हें प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। इसलिए इसे आईवीएफ कहा जाता है। एक बार जब अंडे निषेचित हो जाते है, तो भ्रूण को मां के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
        • वही आईवीएफ की प्रक्रिया में शुक्राणु (स्पर्म) और अंडे का मिश्रण शामिल होता है।

        आईवीएफ के लिए कौन-सी आयु सीमा सबसे उत्तम मानी जाती है ?  

        • हर महिला को इस बात का पता होना चाहिए की वो आईवीएफ ट्रीटमेंट को कितनी आयु सीमा तक करवा सकती है। 
        • आईवीएफ की बात करें तो 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में आईवीएफ की सफलता दर अधिक होने की संभावना है। यह ज्यादातर इसलिए है क्योंकि 35 वर्ष की आयु के बाद जीवन की मात्रा और गुणवत्ता घट जाती है।
        • वही अगर आप 35 वर्ष के बाद भी गर्भधारण कर लेती है, तो आपकी गर्भपात की दर अधिक हो सकती है।

        अगर आप आईवीएफ के जरिये अपना उपचार करवाना चाहती है तो इसके लिए आपको पंजाब में आईवीएफ सेंटर का चयन करना चाहिए।

        आईवीएफ की सफलता दर किन बातो पर निर्भर करती है ?

        • भारत की बात करें तो यहाँ पर आईवीएफ की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे, महिला की उम्र, बांझपन का कारण और भ्रूण की गुणवत्ता। 
        • औसतन, भारत में आईवीएफ की सफलता दर लगभग 40-50% है, जो अन्य देशों की सफलता दर के बराबर ही है।

         

        आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले किन बातो का रखें ध्यान !

        • उपचार शुरू करवाने से पहले अपनी खानपान की आदतों में करीब 2 महीने पहले बदलाव करें, सामान्य रहें, अगर बाहर का जंकफुड, फास्टफुड खाने की शौकिन है तो इसे बंद करना अच्छा रहेगा।
        • आहार में हरी सब्जियां अधिक खाएं, दुग्ध उत्पाद तथा फल जरूर लें।
        • वजन को संतुलित रखें, और अधिक बढ़ने न दें।
        • शराब, सिगरेट या अन्य कोई नशा न करें।
        • अपने आसपास ऐसे लोगों को रखें जो आपको सकारात्मक ऊर्जा देते हों।
        • हाई हिल वाले सेण्डल पहनने से बचे।

        आईवीएफ के बाद किन बातो का रखे ध्यान !

        • सबसे पहले तो अपनी दवाएं समय पर लेते रहें। 
        • सोडा और अल्कोहल से दुरी बनाए।
        • आराम करे।
        • खुश रहे।

        आईवीएफ के लिए बेस्ट हॉस्पिटल व सेंटर !

        • अगर आप आईवीएफ के जरिये सही तरीके से इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आपको जेम हॉस्पिटल एन्ड आईवीएफ सेंटर का चयन करना चाहिए। 

        निष्कर्ष :

        • उम्मीद करते है की आपने जान लिया होगा की आईवीएफ उपचार क्या है और इसको करवाने से पहले किन बातो का ध्यान रखे और साथ ही इसकी सफलता दर क्या है। तो अगर आप भी आईवीएफ के जरिये अपना उपचार करवाना चाहते है तो इसके लिए आपको उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखना होगा।

         

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