gemhospitalbti@gmail.com +91 98723 44833 ISO 9001:2015 Certified Hospital
×

    Kindly fill in your details

    Request Call Back

      Kindly fill in your details

      गर्भाशय के दौरान कब्ज की इतनी दिक्कत क्यों आती है ? इसे कैसे आराम पाए

      गर्भाशय के दौरान कब्ज की इतनी दिक्कत क्यों आती है ? इसे कैसे आराम पाए

        Quick Inquiry

        गर्भाशय या प्रेगनेंसी, औरत की ज़िंदगी का ऐसा चरण है जिस में उसको अनेक प्रकार की दिकतों से निकलना पड़ता है और जिससे वह अपने बच्चे को पालने के लिए ओर मजबूत हो जाती है। हर गर्भवती स्त्री को कब्ज की दिकत से गुजरना ही पड़ता है।लेकिन क्यों ? क्या है इसके होने का कारण और कैसे दूर हो सकती है ?आइये जानते है। 

         

        मुख्य रूप से गर्भाशय के दौरान कब्ज होने का कारण गर्भवती स्त्री के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोनज़ के बढ़ने से होती है जिनसे आंतों माँसपेशियाँ को आराम 

        मिल जाता है और खाना व गंद का शरीरिक प्रणाली से निकलना मुशकल व धीरे हो जाता है। कुछ और आम सी बातें जैसे हार्मोनज़ में बदलाव, दिवाई, अन्य अनुपूरकों के  प्रयोग से या कम फाइबर खाने की वजय भी हो सकती है। कई बार आयरन अनुपूरकों भी कब्ज का कारण बन जाते है। 

         

        कोनसे समय पर होती हैअक्सर गर्भवती महिलाओं में कब्ज की दिक्कत पहले तिमाही या ८ हफ्तों के बाद शुरू होने लगती है जब प्रोजेस्टेरोन हार्मोनज़ बढ़ने की स्थिति में होने लगते है। जिसके कारण उन्माद का सख्त होना, वे कभी थोड़े या ज़्यादा ज़ोर से आना जिसे गर्भवती स्त्री असुविधाजनक हो जाती है या पेट में दर्द शुरू होने के लक्ष्ण आने लगते है।  

         

        क्या यह बच्चे के लिए परेशानी है? 

        नहीं, कोई चिंता की बात नहीं  जितना भी दबाव उन्माद करने समय एक गर्भवती महिला के पेट में बनता है वो बच्चे के लिए कोई तनाव नहीं है। बच्चे को कोई चोट न पोहंचाते यह स्थिति आप के लिए अप्रिय बन सकती है। यह तनाव नेतृत्वी कई बार बवासीर और गुदा की दरारें भी का रूप भी ले जाती है। 

         

        पहले से रहती कब्ज,गर्भाशय में जरूर परेशान करती है जो दोबारा आती जाती रहती है। अगर आप को है कब्ज और आप गर्भाशय के लिए तैयारी कर रहे है तो उस से  पहले सही आदतों को अपनाएं। अपने खानपान को सही करें, ज़्यादा मात्रा में तरल पदार्थ पीए और हल्की फुलकी कसरत करें जिससे नियमित मल त्याग बना रहे। कब्ज को लटकाने से बेहतर, पहले से इसका इलाज कर लेना चाहिए। 

         

        अधिकांश खाने जिसे कब्ज रहती है- एक गर्भवती स्त्री को मैदे से बनी चीजों से दूर रहना चाहिए ऐसा अन जिस के खाने से बच्चे को कोई ताकत नहीं मिलती व माँ को भी। उच्च फैट वाले खाने जैसे फली, मसूर की दाल, साबुत अनाज, ब्रोकली, गोभी, अल्लू आदि भी कब्ज करते है। कुछ तंत्रिका संबंधी रोग( दिमाग व मेरुदंड) के कारण भी पाचन संबंधी समस्याएं शुरू कर देते है। 

         

        वो खाने की चीजें जो कब्ज से करती है मुक्त– कब्ज का होना गर्भाशय में सामान्य होता है लेकिन बड़ी दिकत से गुजरना पड़ता है। ज्यादा मात्रा में फाइबर वाली चीजें फल, सब्जी आदि खाने से कभी दूर हो सकती है :-    

        • आपका मकसद २५ ग्राम फाइबर रोज खाना होगा- जई, जौ, कुछ फल जैसे सेब,बेर्री आदि 
        • आराम से की सैर भी आंतों माँसपेशियाँ को चुस्त कर देती है। 
        • अगर यह काम न करें तो रेचक लेने पड़ेगे जैसे थोक बनाने वाले एजेंट, स्नेहक रेचक, मल मुलायम करने वाले, आसमाटिक जुलाब, उत्तेजक रेचक आदि 

          

        क्या गर्भाशय के बाद भी कब्ज रहती है?

        कुछ अध्ययन में बताया है के बच्चा होने के बाद भी ३ से ६ महीनों तक महिला को कब्ज    की परेशानी झेलनी पड़ती है। जिससे उसको देखना पड़ता है कि क्या खाना है, क्या नहीं। 

        Drop Your Query

          Make An Appointment


          This will close in 0 seconds