जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर नीरा गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया कि शुक्राणुओं की संख्या पुरुषों में प्रति स्खलन में पाए जाने वाले शुक्राणुओं का एक आंकना होती है, क्योंकि इसी प्रक्रिया से प्रजनन की क्षमता के बारे में पता लगाया जाता है | अब अगर बात करें की सामान्य तौर पर स्पर्म काउंट की रेंज कितनी होनी चाहिए, तो प्रजनन की क्षमता सबसे अधिक तब होती है जब स्खलन में निकलने वाले वीर्य प्रति मिलीलीटर कम से कम 15 मिलियन से 20 मिलियन तक के शुक्राणु मौजूद होते है, जिससे गर्भधारण की सर्वोत्तम संभावना को सुनिश्चित किया जाता है |
लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह बात सामने आयी है की लगभग 20 से 30 प्रतिशत पुरुष लौ स्पर्म काउंट की समस्या से पीड़ित है, जिस वजह से कई लोग मेल इनफर्टिलिटी का शिकार हो जाते है | लौ स्पर्म काउंट एक ऐसी समस्या है, जिसमे आपके वीर्य के प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से भी कम शुक्राणु मौजूद होते है, जो इनफर्टिलिटी की समस्या उत्पन्न करने का कार्य करता है |
अब अगर बात करें की गर्भधारण के लिए पर्याप्त शुक्राणु की संख्या होना क्यों इतना महत्वपूर्ण होता है तो गर्भधारण पूर्ण रूप से प्रजनन की क्षमता और गुणवत्ता पर निर्भर करता है, क्योंकि यह गर्भवती होने के सफलता के दर को बढ़ाने का कार्य करता है |
यदि आप भी मेल इनफर्टिलिटी से पीड़ित है और इलाज करवानां चाहते है तो इसके लिए आप जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर नीरा गुप्ता गयनेकोलॉजिस्ट और इनफर्टिलिटी में स्पेशलिस्ट है जो मेल इनफर्टिलिटी की समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आज ही जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |
इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर इस वीडियो को पूरा देखें |