माता-पिता बनने का सपना हर दंपति का होता है, लेकिन किसी कारण वर्ष कई दंपति ऐसे होते है, जो बार-बार प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाते है और निःसंतान होने का दर्द उन दंपतियों को अंदर ही अंदर खाने लग जाता है | अधिकतर मामलों में निःसंतान से पीड़ित दंपति अपनी समस्या किसी को बताते नहीं है और इस समस्या को भगवान के द्वारा दिया गया अभिशाप मान लेते है |
जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर नीरा गुप्ता का यह कहना है की निःसंतान होने की समस्या आज भारत जैसे में भी देश में बहुत बड़ी समस्या बन गयी है, जिसकी वजह से हर 10 में से 4 दंपति इस समस्या से गुजर रहा है | निःसंतान की समस्या पुरुष और महिला दोनों को ही हो सकती है, लेकिन आज भी लोग निःसंतान की समस्या होने का दोष महिलाओं को ही देते है | गर्भधारण न हो पाने की स्थिति में जितना दोष एक महिला में होता है, उतना ही पुरुष का भी दोष होता है, इसलिए किसी एक व्यक्ति को यह समस्या के होने का कसूर ठहरना ठीक नहीं |
लेकिन आजकल के विज्ञान में इतनी तरक्की आ गयी है की अब निःसंतान की समस्या का आधुनिक तकनीक आईवीएफ उपचार के माध्यम से किया जा सकता है | महिलाओं में निःसंतान होने की वजह एक से अधिक हो सकते है और पुरुषों में निःसंतान होने की प्रमुख कारण उनके शुक्राणु से जुड़े होते है, जिसे अशुक्राणुता भी कहा जाता है | आइये जानते है अशुक्राणुता की समस्या को विस्तारपूर्वक से :-
एज़ूस्पर्मिया क्या है ?
डॉक्टर नीरा गुप्ता न यह बताया की अशुक्राणुता की समस्या को मेडिकल टर्म में एज़ूस्पर्मिया कहा जाता है यह पुरुषों में होने वाली एक ऐसी समस्या है, जिसकी वजह से एक पुरुष पिता बनने में असमर्थ हो जाता है | एज़ूस्पर्मिया से प्रभावित होने वाली पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या शून्य हो जाती है | पुरुषों में एज़ूस्पर्मिया होने के दो तत्व हो सकते है, पहला तो यह की उनमें नए शुक्राणुओं का उत्पादना नहीं हो रहा और दूसरा यह की शुक्रणुओं के उत्पादन होने के बाद इसे बाहर निकलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है |
अधिकतर मामलों में डॉक्टर एज़ूस्पर्मिया होने के प्रमुख कारण को जानने के लिए पुरुषों को सीमेन एनालिसिस करवाने का सुझाव देते है, जिसके माध्यम से यह पता लग सके की शुक्राणुओं की कुल संख्या कितनी है, गतिशीलता, बनावट, जीवित और मृत शुक्राणु की संख्या क्या है आदि | यह सब जाँच-पड़ताल करने के बाद ही एज़ूस्पर्मिया के इलाज की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है | इलाज को समझने से पहले आइये जान लेते है एज़ूस्पर्मिया के प्रमुख कारण और लक्षण क्या है :-
एज़ूस्पर्मिया होने के प्रमुख कारण क्या है ?
- प्रजनन के राह पर रुकावट का आना
- हार्मोनल से जुड़ी समस्याएं
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- कैंसर ट्रीटमेंट
- किडनी का फेल होना
- कॉल्मन सिंड्रोम
- इजेकुलेशन प्रॉब्लम
- सूजन और जलन की समस्या
- सिस्ट और वृद्धि
- पुरुष नसबंदी
- संक्रमण होना जैसे की एपीडीडीमिटिस
- पेल्विक क्षेत्र में हुई सर्जरी के कारण
- प्रतिमाग़ी स्खलन
एज़ूस्पर्मिया होने के प्रमुख लक्षण क्या है ?
आमतौर यह समस्या के होने का पुरुष को भी तब तक नहीं पता चलता, जब तक कि वह अपनी महिला साथी के साथ बार-बार प्रयास करने बाद भी गर्भधारण करने में असमर्थ नहीं जाता | कुछ लोगों में विलीन से संबंधित समस्याएं भी होती है, उदाहरण के तौर पर बात करें तो, हार्मोनल में असंतुलन होने की वजह से भी कामेच्छा की कमी हो सकती है या फिर किसी संक्रमण के कारण आपके अंडकोष के कारण गांठ भी हो सकती है |
एज़ूस्पर्मिया से निदान कैसे करें ?
एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एज़ूस्पर्मिया निदान तब ही करता है, जब जाँच-पड़ताल के दौरान सीमेन एनालिसिस में शुक्राणु बिलकुल भी दिखाई नहीं देता | यदि आप भी ऐसी ही किसी परिस्थिति से गुजर रहे है तो बेहतर यही है की आप किसी अच्छे डॉटर के पास जाए और अपना इलाज करवाएं, ताकि जल्द से जल्द आपको छुटकारा मिल सके |
इसलिए लिए आप जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर नीरा गुप्ता इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 15 सालों से इनफर्टिलिटी से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रही है और आईवीएफ ट्रीटमेंट के माध्यम से भी गर्भधारण करने में मदद कर रही है | इसलिए आज ही जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर नमक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक कराएं | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |