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      क्या बच्‍चेदानी में रसौली होने पर माँ बना जा सकता है ?

      क्या बच्‍चेदानी में रसौली होने पर माँ बना जा सकता है ?

      रसौली (फाइब्राॅइड) क्या होती है गर्भाशय में रसौली (फाइब्राॅइड) क्या होते है उसके कारण और उपचार

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        बच्‍चेदानी में रसौली का होना एक बहुत ही गंभीर समस्या है एक माँ व उनके पूरे परिवार के लिए। क्युकि अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला के गर्भ में रसौली हो जाए तो बच्चे पर भी काफी गहरा असर पड़ता है। और कई बार रसौली होने पर मिसकैरेज की समस्या भी सामने देखने को मिलती है इसलिए आज के इस दुविधा को हम लेकर आए है आपके सामने ताकि आपके रसौली से जुड़े जितने भी प्रश्न है उसके उत्तर आपको मिल जाए।

        बच्‍चेदानी में रसौली का होना क्या है ?

        बच्‍चेदानी में रसौली क्या है, इसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

        • रसौली का होना वो भी बच्‍चेदानी में एक गैरकैंसरकारी ट्यूमर होता है। इसका असर फर्टिलिटी और कंसीव करने की संभावना पर पड़ सकता है। गर्भाशय में रसौली को यूट्राइन फाइब्रॉएड कहा जाता है।

        यदि आप बच्‍चेदानी में रसौली की समस्या से परेशान है और इससे निजात पाना चाहते है, तो आपको जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर पंजाब में आईवीएफ उपचार को अपनाना चाहिए।

        किस उम्र में बच्‍चेदानी में रसौली की शुरुआत होती है ?

        • लगभग 20 से 80 फीसदी महिलाओं को 50 की उम्र तक बच्‍चेदानी में रसौली की परेशानी होती ही है।

        • तो वहीं, 25 से 44 साल की 30 प्रतिशत महिलाओं में रसौली के लक्षण देखे जाते हैं। इसका मतलब है कि प्रजनन की उम्र में महिलाओं में रसौली का बनना कोई बड़ी बात नहीं है।

        बच्‍चेदानी में रसौली की शुरुआत हुई या नहीं इसके बारे में यदि आप जानना चाहते है तो पंजाब में आईवीएफ सेंटर जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर आए।

        बच्‍चेदानी में रसौली क्यों बनती है ?

        गर्भाशय में रसौली अर्थात् गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या, आनुवांशिक भी हो सकती है। अगर परिवार में किसी महिला को ये बीमारी है तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है। या फिर ये हार्मोन के स्त्राव में आए उतारचढ़ाव की वजह से भी हो सकता है। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा भी इसका एक एहम कारण हो सकता हैं।

        गर्भाशय में रसौली की वजह से महिलाएं दोबारा माँ बन सकती है ?

        बच्‍चेदानी में रसौली होने पर भी महिलाएं नैचुरली कंसीव (माँ बन सकती है) कर सकती हैं। हो सकता है कि इसमें कंसीव करने के लिए किसी ट्रीटमेंट की जरूरत न पड़े। कुछ मामलों में रसौली फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।

        गर्भाशय में रसौली के लक्षण क्या है ?

        पेट के निचले हिस्से में बहुत अधिक दर्द होना और ब्लीडिंग अधिक होना। पेट के निचले हिस्से में भारीपन लगना और इंटरकोर्स के वक्त दर्द होना। बारबार यूरिन पास होना और वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज का होना। हर समय वीकनेस रहना, पैरों में दर्द होना और कब्ज की शिकायत का रहना।

        क्या बच्‍चेदानी में रसौली को ठीक किया जा सकता है ?

        • प्रेगनेंसी में बच्‍चेदानी में रसौली का इलाज काफी सीमित है, क्‍योंकि इससे भ्रूण को जोखिम रहता है। बच्‍चेदानी में रसौली के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए आराम, पानी पीने और हल्‍की दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है।

        यदि आप चाहती है कि बच्‍चेदानी से रसौली को ठीक किया जाए तो इसके लिए किसी अच्छी महिला डॉक्टर का चुनाव करे और अपनी परेशानी के बारे में उनसे बात करे। इसके इलावा आप जेम हॉस्पिटल से भी अपना चेकउप व अपना उपचार शुरू करवा सकती है।

        निष्कर्ष :

        उम्मीद करते है की आपको पता चल गया होगा कि गर्भाशय में अगर रसौली की समस्या उत्पन हो जाए तो क्या करना चाहिए।

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