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      सामान्य जुड़वा बच्चे बनाम आईवीएफ में जुड़वा बच्चे ? दोनों में क्या अंतर है ?

      सामान्य जुड़वा बच्चे बनाम आईवीएफ में जुड़वा बच्चे ? दोनों में क्या अंतर है ?

      जुड़वा बच्चे: आईवीएफ बनाम सामान्य

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        सामान्य जुड़वा बच्चे बनाम आईवीएफ में जुड़वा बच्चे

         

        क्या आपको पता है?

        सामान्य गर्भावस्था में जुड़वा बच्चे होने की सम्भावना लगभग 6% होती है | परन्तु IVF में इससे ज़्यादा हो सकती है | यह काफी हद तक IVF की परिक्रिया की वजह से हो सकता है | जब आप डॉक्टर को सम्पर्क करने जाते है IVF Centre in Punjab तब आपको डॉक्टर पुरे तरह से इसके बारे में समझा देंगे | यह ध्यान में रखे की Test tube baby cost भारत में बाकि देशों के मुकाबले बहुत ही कम है | इसकी औसत लागत Rs 50,000 से शुरू होती है | कई जोड़ो की यह मंशा होती है की पहली ही बार में वह IVF से बच्चे हो जाएँ | इस स्थिति में डॉक्टर यह सलाह देते है की एक से ज़्यादा भ्रूण को महिला के गर्भ में प्रत्यारोपण करना | जिससे की जुड़वा बच्चे होने की सम्भवना बढ़ जाती है |

         इन विट्रो निषेचन (IVF) कैसे काम करता है ?

        IVF के दौरान अंडो को शुक्राणु के साथ एक बहुत हो अलग वातावरण में निषेचित किया जाता है | जिससे की भ्रूण के बनने की सम्भवना बढ़ जाती है | उसके बाद कुछ दिनो के लिए भ्रूण की निगरानी की जाती है की वह सही है या नहीं | भ्रूण को अलग-अलग दिनों में स्थानांतरित किया जा सकता है जैसे की इसके दो चरण होते हैं :

        पहला चरण निषेचन से तीन या चार दिनों के बाद होता है

        वही ब्लास्टोसिस्ट चरण निषेचन के एक सप्ताह बाद होता है जब भ्रूण इष्टतम विकास तक पहुंच जाता है।

        इसके बाद भ्रूण अगले 6 से 12 दिनों के भीतर गर्भाशय की लाइनिंग में प्रत्यारोपित होता है जिससे एक सफल गर्भावस्था उत्पन्न होती है।  गर्भावस्था हुई है या नहीं उसको देखने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करते हैं |

        आईवीएफ के साथ जुड़वां होने की संभावना इस तरह है ?

        आज तक जो भी निषेचन हुए हैं उनके अनुसार, 5  में से 1  गर्भधारण में ट्विन्स (Twin प्रेगनेंसी ) होने की सम्भावना बहुत ही अधिक है | जैसे की हमने पहले भी कहा है IVF के दौरान एक से ज़्यादा भ्रूण को गर्भ में डालने की वजह से जुड़वा बच्चे होने की सम्भवना बढ़ जाती है | यह कह सकते हैं की :

        • जहां एक अंडा दो जायगोट बनाने के लिए विभाजित हो सकता है जिनको की मोनोजायगोटिक जुड़वां कहा जाता है।
        • दूसरी ओर, डाईजायगॉटिक जुड़वां दो अलग अंडों का एक परिणाम हैं। यह तब संभव है जब डॉक्टर 2 या उससे अधिक भ्रूण को गर्भ में डालते हैं |

        आईवीएफ से कैसे बढ़ती है जुड़वा बच्चे होने की सम्भवना ?

        ब्लास्टोसिस्ट चरण : यदि की भ्रूण को इस चरण के बाद महिला के गर्भ में डाला जाता है  तो उससे जुड़वा बच्चे होने की सम्भवना बढ़ जाती है |

        आईवीएफ जुवां गर्भावस्था के लक्षण: 

        • उच्च एचसीजी स्तर

        यदि आपका एचसीजी (hSG) स्तर बहुत ही ज़्यादा है तो यह जुड़वा बच्चे होने की सम्भवना बड़ा सकता है | 

        • प्रारंभिक सकारात्मक परिणाम

        यदि आपका प्रेगनेंसी टेस्ट पीरियड डेट से पहली ही पॉज़िटीव है तो यह संभव है की जुड़वां गर्भधारण हो सकता है | 

        • वजन बढ़ना

        यदि आपका वज़न बहुत ही तेज़ी से बढ़ रहा है तो , जुड़वा बच्चे होने की सम्भवना बढ़ जाती है | ध्यान रखे की आप डॉक्टर से परामर्श करे एंड जान लें वजन क्यों बढ़ रहा है | 

        • गर्भाशय की तीव्र वृद्धि

        यह हो सकता है की आपके पेट की लंबाई सामान्य वृद्धि से अधिक है तो जुड़वा बच्चे होने की वजह से भी हो सकता है | 

        इनके इलावा एएफपी टेस्ट परिणाम प्रोटीन स्तर को भ्रूण में मापा जाता है | आप डॉक्टर से परामर्श करें , क्यूंकि वह आपको आपकी स्थिति के अनुसार बेहतर सलाह देंगे |

         

         

         

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