महिलाओं की ज़िन्दगी में प्रेग्नेंसी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है, इस अवस्था में महिलाओं को अपना खास ध्यान रखना चाहिए। वहीं प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते के दौरान उनमे किस तरह के लक्षण नज़र आते है, और इस दौरान उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और साथ ही इस अवस्था का उन्हें कैसे पता लगता है, इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे;
प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते में महिलाओं को कैसा महसूस होता है ?
- प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते में महिलाओं का जी मिचलाना उल्टी की समस्या का सामना करना और पीरियड्स के मिस होने की आशंका होती है, वहीं इस पहले हफ्ते की प्रेग्नेंसी का पता उन्हें भी नहीं होता है, पर जब उन्हें इस बात का पता चलता है की वो इस अवस्था में है तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं होता।
- जैसे की बहुत सी महिलाएं ऐसी भी है जिन्हे पहले हफ्ते की प्रेग्नेंसी का पता ही नहीं चलता पर अब वो आसानी से इस अवस्था के बारे में जान सकती है।
पहले हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान किस तरह के लक्षणा नज़र आते है ?
पीरियड्स का मिस होना :
प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते में महिलाओं में दिखने वाले लक्षणों की बात करें, तो उनमे पीरियड्स के मिस होने के लक्षण नज़र आ सकते है। या ऐसा भी हो सकता है कि ब्लीडिंग हो मगर नाममात्र की हो। इसलिए दोनों ही सूरतों में आपको गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि प्रेग्नेंसी हो या नहीं हो, पीरियड्स का मिस होना या कम ब्लीडिंग होना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
जी मिचलाना व उल्टी की समस्या :
पहले हफ्ते की प्रेग्नेंसी में महिलाओं को जी मचलाना जैसा महसूस हो सकता है, जैसे उल्टी का होना, बार-बार पेशाब करने की जरूरत का महसूस करना शुरूआती लक्षण के तौर पर दिखाई दे सकते है। अगर इस तरह की स्थिति में उल्टी हो और प्रेग्नेंसी होने की आपको जानकारी न हो तब भी उल्टी की परेशानी दूर करने के लिए एंटीबायोटिक न लें। इससे महिला और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है। प्रेग्नेंसी होने के बाद महिला के व्यवहार में बदलाव आने लगता है। वह कभी खुश महसूस करती है तो कभी अचानक दुखी हो जाती है।
मूड में बदलाव का आना :
कई बार तो महिला का मूड़ भी इस अवस्था में उखड़ा-उखड़ा रहता है जिसे वो समझ नहीं पाती है। पहले हफ्ते में मुंह में कसैलापन भी महसूस होने लगता है। इससे किसी भी चीज का स्वाद नहीं आता बल्कि सिर्फ खट्टी चीजों का स्वाद ही आता है। प्रेग्नेंसी के बाद थकान होने लगती है, यहां तक कि पैर में सूजन हो जाती है। इसके साथ ही सिर दर्द भी रहता है। प्रेग्नेंसी में पहले हफ्ते में लक्षण दिखने पर आप डॉक्टर के पास जांच करवा कर प्रेग्नेंसी की पुष्टि कर सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग का होना :
वहीं प्रेग्नेंसी में दिखाई देने वाले अन्य लक्षणों की बात करें तो जब एग से स्पर्म फर्टिलाइज होता है, तब हल्की सी ब्लीडिंग होती है। जिससे महिला को प्रेग्नेंट होने के बारे में भनक नहीं पड़ती है। इस समय महिला को ऐंठन भी महसूस हो सकती है।
स्तनों में बदलाव का आना :
- वहीं प्रेग्नेंसी के पहले महीने में स्तन कठोर हो जाते है और उनमें सूजन हो जाती है। कई बार स्तनों में दर्द भी होता है। और शरीर में मेलेनिन बनने लगता है जिससे निप्पलों के रंग में बदलाव आने लगता है। मेलेनिन के कारण निप्पल का रंग गहरा हो जाता है। कंसीव करने के बाद नींद अनियमित हो जाती है और महिला को सोने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- और तो और प्रेग्नेंसी में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ जाते है, जिससे बार-बार पेशाब आने की संभावना बनी रहती है।
खाने की इच्छा का बढ़ना :
इसके अलावा प्रेग्नेंसी में महिलाएं वे चीजें खाना शुरू कर देती है, जो उन्हें पहले पसंद नहीं थी। इस दौर में खाने-पीने की पसंद पूरी तरह से बदल जाती है। चूंकि बच्चे की वजह से प्रेग्नेंट महिला को ज्यादा डाइट की जरूरत होती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिला की भूख बढ़ जाती है। कई बार तो उन्हें असमय ही भूख लगती है।
हल्की शारीरिक समस्या का सामना :
- प्रेग्नेंसी में महिला को सीने में जलन जैसे लक्षण दिखाई देते है। महिलाएं इस कारण से घबरा भी जाती है, लेकिन प्रेग्नेंसी में सीने में जलन होना सामान्य है। इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
- वहीं इस अवस्था की महिलाएं अगर कुछ भी खाती है, तो उन्हे उनके गले में कुछ फसा हुआ जैसा महसूस होता है।
शरीर में बदलाव का नज़र आना :
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने से प्रेग्नेंट महिला को शुरूआती लक्षण के तौर पर कब्ज भी हो सकता है। हार्मोन के बदलाव के कारण प्रेग्नेंट महिला की सूंघने की शक्ति बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते में यूटेरस में भ्रूण प्रत्यारोपित या कह सकते है कि अपनी जगह बनाता है, जिससे पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। पहले महीने में पीठ दर्द या रीढ़ की हड्डी में दर्द की भी संभावना रहती है। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। दर्द दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह से दवाई ली जा सकती है।
लक्षणों से कैसे पता लगाए की महिला गर्भवती है ?
- यदि आप ऊपर दिए गए लक्षण से वाकिफ हो गए है, तो घर में ही प्रेग्नेंसी टेस्ट या डॉक्टर से जांच करवा सकते है।
- मार्केट में कई तरह के प्रेग्नेंसी किट मौजूद है। जिससे घर में ही प्रेग्नेंसी की जांच की जा सकती है। प्रेग्नेंसी किट में जांच पट्टी पर यूरिन का थोड़ा सा हिस्सा डालना होता है। जिसके बाद 5 मिनट का इंतजार करना होता है। अगर इसके बाद हल्की या गहरी गुलाबी लकीरें दिखाई देंगी, तो समझ लेना की आप गर्भवती है। वैसे तो प्रेग्नेंसी किट पर सारे निर्देश दिए होते है। उसे पढ़ने के बाद आप बाकी चीजें समझ सकते है।
- डॉक्टर प्रेग्नेंसी की पुष्टि करने के लिए ब्लड या यूरिन टेस्ट करवाते है। इन टेस्ट के रिजल्ट प्रेग्नेंसी किट के नतीजे से ज्यादा भरोसेमंद होते है।
- जब डॉक्टर इन दो जांचो के बाद भी जांच के नतीजे से संतुष्ट नहीं होते, तब अल्ट्रासाउंड का सहारा लेते है।
अगर आप आईवीएफ के जरिये गर्भवती हुई है, तो इसकी जाँच की जो भी प्रक्रिया है उसको आप पंजाब में आईवीएफ सेंटर में जाकर करवा सकते है।
प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते के दौरान किन बातों का ध्यान रखें ?
- प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते के महीने में आपको भारी एक्सरसाइज करने के लिए टोका जाता है, लेकिन हल्की फूलकी एक्सरसाइज की जा सकती है। डॉक्टर की सलाह से प्रेग्नेंसी के पहले महीने में पिलेट्स एक्सरसाइज की जा सकती है। अगर आपको यह एक्सरसाइज नहीं आती तो किसी एक्सपर्ट से सीख सकती है।
- प्रेग्नेंसी में कुछ खास तरह के योगासन करने की सलाह दी जा सकती है। लेकिन अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार डॉक्टर से किसी भी आसन को करने के लिए इजाजत जरूर लें।
- कब्ज और अपच न हो इसलिए फाइबर युक्त खाना खाएं।
- डिहाइड्रेशन न हो इसलिए आठ से दस ग्लास पानी पिएं। ऐसा करने से डायरिया भी नहीं होगा।
- डॉक्टर की सलाह से विटामिन सप्लीमेंट या विटामिन युक्त फूड जरूर लें।
- खुद को खुश रखें और अच्छी किताबें पढ़ें। इससे मन खुश रहेगा और बच्चे पर भी अच्छा असर पड़ेगा।
- डॉक्टर ने सिजेरियन डिलीवरी का कहा है तो घबराएं नहीं। अगर नॉर्मल डिलीवरी की भी गुंजाइश है, तो ज्यादा तनाव लेने से यह खत्म हो जाएगी।
- पहले महीने में लंबा सफर न करें, इससे मिसकैरिज की संभावना रहती है।
- हिल वाली सैंडल न पहनें, इससे यूटेरस पर असर पड़ता है। ऊंची सैंडल से पैर मुड़ने या जमीन पर गिरने का खतरा रहता है।
- प्रेग्नेंसी के पहले महीने में ज्यादा न झुकें, इससे पेट पर दबाव पड़ सकता है।
- डॉक्टर की सलाह के बिना छोटी-मोटी तकलीफों के लिए दवा न लें।
- सुबह की ताजा हवा में घूमें, इससे मन खुश रहेगा।
- कॉस्मेटिक सामान इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतें, ज्यादा केमिकल वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करें।
- हॉट टब बाथ या सॉना बाथ बिल्कुल ना लें। इसमें तापमान 70 डिग्री सेल्सियस से 100 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जो मिसकैरिज का कारण बन सकता है।
क्या प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते में गर्भपात करवाया जा सकता है ?
- अगर आपको अभी पता ही चला है की आप अभी गर्भवती हुई है, तो इसके पहले हफ्ते के बीच आप गर्भपात करवा सकती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है की आप एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
- वहीं अगर आपकी प्रेग्नेंसी को एक महीने से ज्यादा समय होने वाला है, तो ऐसे में डॉक्टर गर्भपात करवाने से आपको मना करते है, क्युकी इस दौरान ब्लीडिंग काफी होती है और शरीर काफी कमजोर हो जाता है।
- इसलिए गर्भवस्था के दौरान कुछ भी करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
सुझाव :
अगर आप प्राकृतिक रूप से गर्भवती नहीं हो सकती तो इसके लिए आपको जेम हॉस्पिटल एन्ड आईवीएफ सेंटर का चयन करना चाहिए। वहीं आईवीएफ उपचार की मदद से आप आसानी से माँ बन सकती है।
निष्कर्ष :
प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते के दौरान किस तरह के लक्षण नज़र आते है, इसके बारे में हम आपको उपरोक्त बता ही चुके है। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की दवाई या अन्य कोई भी चीज लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।