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      क्या एक से अधिक बार आईवीएफ को कंसीव करने से पड़ सकता है सेहत पर बुरा असर ?

      क्या एक से अधिक बार आईवीएफ को कंसीव करने से पड़ सकता है सेहत पर बुरा असर ?

      एक महिला आईवीएफ ट्रीटमेंट को कितनी बार करवा सकती है ?

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        आज के दौर में खराब खानपान और जीवनशैली की वजह से लोगों के सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहगा है, जिसकी वजह से इनफर्टिलिटी का स्तर बढ़ते ही जा रहा है | एक समय के बाद  हर कपल का सपना होता है की वह भी माँ-बाप बने, लेकिन वही कुछ कपल ऐसे भी होते है जो इनफर्टिलिटी से जूझ रहे होते है, जिसकी वजह से उनके माँ-बाप बनाने का सपना अधूरा रह जाता है | ऐसे लोगों के लिए आईवीएफ ही आखिरी उम्मीद होती है, जिसके कंसीव से वह अपने माँ-बाप बनाने के सपने को पूरा कर सकते है | 

        आईवीएफ एक तरह का लैब टेक्नोलॉजी है, यह ट्रीटमेंट उन महिलाओं के लिए होता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भवती होने में असमर्थ हो जाते है | इस तकनीक में शुक्राणु और अंडे को टेस्ट ट्यूब में मिलकर शिशु के विकास की प्रक्रिया को शुरू की जाती है | इस प्रक्रिया को प्रयोगशाला में किया जाता है | लेकिन कई महिलाएं होती है जो आईवीएफ को कंसीव करने में भी असफल हो जाते है | आइये जानते है इसके मुख्य कारण क्या है :- 

        आईवीएफ पूरी तरह से कपल के सेहत पर निर्भर होता है :-  इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले डॉक्टर कपल्स के कई तरह के शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी परीक्षण करते है | यदि उनकी रिपोर्ट सही आती है तो उनको आईवीएफ को कंसीव करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि आईवीएफ का सफल होना पूरी तरह से कपल के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है | 

        एक महिला कितनी बार आईवीएफ को कंसीव कर सकती है :- एक महिला कितनी बार आईवीएफ को करवा सकती है यह सम्पूर्ण रूप से उनकी सेहत पर ही निर्धारित होता है | दरअसल आईवीएफ ट्रीटमेंट का सफल होना मुख्य रूप से अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता पर ही निर्भर करता है | आम-तौर पर  3-4 बार आईवीएफ की कोशिश से कोई भी महिला  माँ बन सकती  है | अगर यह ट्रीटमेंट बार-बार असफल हो रहा है तो डॉक्टर द्वारा डोनर को बदल देने की सलाह भी दी जाती है | 

        आईवीएफ के विफल होने के मुख्य कारण क्या है ? 

        जैसे-जैसे महिल की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे ही उनके अंडो की गुणवत्ता के साथ-साथ इनकी मात्रा में भी कमी आ जाती है | इसी कारणों से वह आईवीएफ को कंसीव करने का निर्णय लेते है | हलाकि अण्डों की मात्रा और विशेष रूप से उनकी गुणवत्ता में आये भरी गिरावट की वजह से महिलाएं प्राकृतिक तरीके से गर्भवती होने से बार-बार असफल हो जाते है | ऐसे में  आईवीएफ उपचार भी तभी सफल होता है,  जब अंडो और शुक्राणु की गुणवत्ता के साथ-साथ महिला की सेहत भी अच्छी होगी | एक शोध के अनुसार यही पता चला है की 35 से अधिक उम्र वाली महिलाओं पर आईवीएफ उपचार के विफल होने का खतरा सबसे अधिक होता है | 

        यदि आप भी इनफर्टिलिटी की समस्या से गुजर रहे है और आईवीएफ को कंसीव करना चाहते है तो इसके लिए आप जेम हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर से परामर्श कर सकते है, इस संस्था के सीनियर डॉक्टर नीरू गुप्ता इनफर्टिलिटी में एक्सपर्ट है जो इस समस्या से आपको छुटकारा दिलाने के साथ-साथ आपके माँ-बाप बनने के सपने को पूरा करने में भी मदद करेंगे | 

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