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      आईवीएफ की तकनीक कौनसे 5 चरणों में की जाती है , जिससे की माँ बनने की सम्भावना बढ़ जाती है ?

      आईवीएफ की तकनीक कौनसे 5 चरणों में की जाती है , जिससे की माँ बनने की सम्भावना बढ़ जाती है ?

      ivf centre in punjab

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        IVF तकनीकी क्या होती है और इसकी सहायता से टेस्ट ट्यूब बेबी कैसे पैदा होती है?

        वर्तमान समय में तकनीकी ने इतनी प्रगति कर ली है कि अब जो काम प्राकृतिक तरीके से नही हो पाता है उसको तकनीकी की मदद से पूरा कर लिया जाता है. इस लेख में हमने यह बताया है कि किस प्रकार टेस्ट ट्यूब प्रक्रिया के माध्यम से महिला के अंडाशय से अण्डों को अलग कर शरीर के बाहर लैब में पुरुष के शुक्राणुओं के साथ निशेषित किया जाता है और इसके बाद तैयार भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है | Test tube baby cost लगभग 60,000 से शुरू हो जाती है, जो की भारत में बाकि देशों के मुकाबले बहुत ही कम

        है |

        आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी की तकनीक की मदद से एक महिला जो प्राकृतिक तरीके से माँ नहीं बन पा रहे है वो , इस ट्रीटमेंट की सहायता से अपनी कोख में अपने शिशु को जनम दे सकती है | टेस्ट ट्यूबने बेबी और नैचुरली कंसीव करने में फरक यह है की आप एक भ्रूण जो त्यार होता है वह शरीर के बाहर किया जाता

        है | Dr Neera Gupta, Gem Hospital and IVF Centre Bathinda की बहुत ही जानी मानी फर्टिलिटी एक्सपर्ट है , जिनकी सहायता से बहुत की दम्पतियों को माँबाप बनने का सुख प्रपात हुआ है | हमारे IVF Centre in Punjab में वो सारी तकनीक है जिनकी मदद से एक दम्पति के कंसीव करने की सम्भवना बढ़ जाती है | चाहे फीमेल इनफर्टिलिटी हो या मेल इनफर्टिलिटी हमारे IVF centre में आपको हर चीज़ का इलाज मिलेगा |

        IVF तकनीक के 5 चरण, जिससे आपके गर्भवती होने की समभावना बढ़ जाती है

        पहला चरण

        अच्छे अंडो का बनना और उनकी गिनती भी

        प्राकृतिक (Naturally) रूप से एक महिला हर महीने एक अंडा अंडाशय में बनाती है | परन्तु IVF परिक्रिया के लिए लगभग 8 से 15 अच्छे अंडो की सहायता होती है | इसके लिए महिला को दवाएँ की जाती है, ताकि आगे की परिक्रिया आसानी से की जा सके |

        दूसरा चरण

        उसके बाद अंडो को बहुत से सरल परिक्रिया से बहार निकला जाता है | इसको करने के लिए लगभग 15 मिनट का समय लगता है औरमहिला महिला को बेहोश कर दिया जाता है | डॉक्टर अल्ट्रासाउंड इमेजिंग का इस्तेमाल करके अंडो को एक बहुत ही पतली से सुई के मदद से ओवरीज़ से बाहर निकल लेते है |

        तीसरा चरण

        अब बरी अति है अंडो और शुक्राणु को फर्टिलाइज़ करने की

        जिस दिन अंडो को निकला जाता है उसे दिन डॉक्टर स्पर्म सैंपल लेते है | जिससे की वीर्य से अच्छे शुक्राणु को बाहर निकाला जाता है | एक अच्छे अंडे और स्पर्म को साथ में रखा जाता है, जिससे की फर्टिलाइज़शन की परिक्रिया पूरी हो जाती है | इसके बाद जो भी भ्रूण विकसित होता है उसको इनक्यूबेटर में रख दिया जाता है |

        चौथा चरण

        जो भ्रूण विकसित होता है उसको एम्ब्र्योलॉजिस्ट अच्छे से देखता है लगभग 2 से 3 दिनों के लिए | इस समय में अच्छे भ्रूण का विकास होता है और उसको अगली परिक्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाता जाता है | अगर भ्रूण एक से अधिक मात्रा में अच्छी गुणवत्ता में है तो उसको भ्रूण जमने (embryo freezing) की परिक्रिया के लिए रख दिया जाता है |

        पांचवा चरण

        डॉक्टर भ्रूण को ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) के चरण पे ही महिला के गर्भ में वापिस डालते है | केथेटर की मदद से एक बहुत ही पतली से ट्यूब को महिला के गर्भशय में डाला जाता है, जिससे की एम्ब्र्यो तो ट्रांसफर कर दिया जाता है | उसके बाद की परिक्रिया वैसे ही होती है जैसे की आप जब नैचुरली कंसीव करते है |

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