यदि हम आजकल की बात करें तो ऐसे विवाहित जोड़ों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, जिनकी अपनी कोई भी संतान नहीं है| IVF Centre in Punjab के Fertility Specialists के अनुसार, “जब जोड़ों को पता लगता है की वो बांझपन की समस्या से झूझ रहे है, तो उनके लिए उससे बड़ा दुःख का कारण कुछ और नहीं हो सकता| माना की दुःखी होने की वजह जायज़ है, पर इसका यह मतलब कदाचित नहीं, की हम इस दुःख से छुटकारा पाने के लिए ढोंगी बाबा से मश्वरा करने लग जायें या फिर व्रत कर कर के अपने शरीर का हाल बेहाल कर दें| उस समय में हमें ज़रूरत होती है fertility clinic in Bathinda के चिकित्सों से इलाज करवाने की|”
ध्यान देने योग्य बात
कई बार कई जोड़ें उपचार के बाद भी प्राकृतिक रूप से माँ–बाप बनने में असफलता पते है, उस स्थिति में IVF से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता
IVF आखिर है क्या?
IVF एक ART (Assisted Reproductive Technique) जिसे हम (In Vitro Fertilization) भी कहते है| इस प्रक्रिया में महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणुओं को LAB में मानविक तौर से मिलाया जाता है, ताकि यह भ्रूण बन जाएं| तैयार किये गए भ्रूण को लगभग ५ से ६ दिनों के लिए LAB में रखा जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके की भ्रूण में वो सब विशेषताएं है जो की गर्भावस्था को अंतिम चरण तक ले जाने में सक्षम है|
डॉक्टरों को कब लगता है क़ि अब किसी जोड़े को IVF करवा लेना चाहिए?
सबसे पहले तो यहाँ यह बता देना अनिवार्य है की हर जोड़ा जो बच्चा कर पाने में मुसीबत का सामना करता है. उसे IVF की सलाह नहीं दी जाती| सबसे पहले डॉक्टर ये निश्चित करते की क्या वाकय ये समस्या दवाइयों से ठीक नहीं हो सकती| यदि वो समस्या दवाइयों द्वारा ठीक होने योग्य नहीं है तो डॉक्टर SURGICAL या फिर IVF प्रक्रिया का उपयोग करते है|
आइये जानते है, कौन कौन IVF प्रक्रिया की सहायता लेने के लिए एक सही प्रार्थी है:
- फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज
फैलोपियन ट्यूब, प्रकृकित रूप से गर्भ धारण करने में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है| परन्तु जब कभी इसमें ब्लॉकेज हो जाये तो गर्भदाहरण के प्रक्रिया में बढ़ा आ जाती है| परन्तु IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जो की फैलोपियन ट्यूब के role को खत्म कर, डॉक्टरी सहायता से महिला के गर्भ में भ्रूण रख देती है|
- पुरूष बांझपन
अक्सर देखा जाता है की बांझपन की समस्या सिर्फ महिलाओं को नहीं प्रभावित करती, परन्तु यह पुरषों को भी परेशान करती है| देखा जाता है की पुरुस्ज कई प्रकार की बांझपन की समस्या से गुज़रते है, जैसे की शुक्राणुओं का कम पैदा होना या फिर पैदा ही न होना, शर्करानुओं का अंडे तक न पहुँच पाना, मरे हुए शुक्राणु पैदा होना
- PCOS
ज्यादातर महिलाओं की बांझपन की समस्या का कारण होता है – PCOS| इस बीमारी में ओवरीज़ जहाँ पर महिला के अंडे बनते है, वहां cyst पैदा हो जाती है, जिस कारण महिला बांझपन का सामना करती है|